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از ساعت 7 صبح تا 10 شب
دسته بندی: دین ویرایش: 1 نویسندگان: Shankarananda Saraswati سری: Shanka-Samadhaan Series ناشر: Paramarthananda Saraswati, Paramartha Niketan سال نشر: 1985 تعداد صفحات: 217 زبان: Hindi فرمت فایل : DJVU (درصورت درخواست کاربر به PDF، EPUB یا AZW3 تبدیل می شود) حجم فایل: 5 مگابایت
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کلمات کلیدی مربوط به کتاب صدخک-شانکا-صمدحان: ساز، دابتوس
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توجه داشته باشید کتاب صدخک-شانکا-صمدحان نسخه زبان اصلی می باشد و کتاب ترجمه شده به فارسی نمی باشد. وبسایت اینترنشنال لایبرری ارائه دهنده کتاب های زبان اصلی می باشد و هیچ گونه کتاب ترجمه شده یا نوشته شده به فارسی را ارائه نمی دهد.
विषय-सूची ......Page 13
२. धन की इच्छा करनी चाहिए या नहीं ......Page 19
३. संभोग से वैराग्य होता है या नहीं ......Page 20
४. उपवास तप है या नही ......Page 22
५. प्राप्त का त्याग करना चाहिए या नहीं ......Page 24
६. श्रद्धालु कृपण का अन्न ग्राह्य या अग्राह्य ......Page 25
७ दुष्कुल की कन्या ग्राह्य या नही ......Page 26
८. अल्पदान महादान ......Page 27
९. कर्ता को ही फल मिलता है - या अकर्ता को भी ......Page 28
१०. विविध आयुप्रमाण ......Page 30
११. डाका डाल कर दान करना ......Page 31
१२. स्त्री को व्रत, तीर्थादि करने चाहिए या नहीं ......Page 32
१३. स्त्री और शूद्र को पुराण पढना चाहिए या नहीं ......Page 34
१४. विश्वास करना चाहिए या नहीं ......Page 36
१५. ज्ञान होने पर संदेह रहता है या नही ......Page 39
१६. ज्ञान दुःखनाशक है या नही ......Page 44
१७. तन और मन के रोग का योग ......Page 46
१८. क्या गरु ही ईश्वर है ......Page 47
१९. माता-पिता और गुरु दण्डनीय है या नही ......Page 49
२०. आततायी वधयोग्य है या नही ......Page 51
२१. असत्यभाषण सत्य से श्रेष्ठ कहाँ? ......Page 53
२२. कुकर्म द्वारा भी माता-पिता पालनीय ......Page 55
२४. कन्यादान ऋतुधर्म से प्रथम या वाद मे ......Page 56
२५. क्या लोकविरोधी धर्म त्याज्य है? ......Page 57
२६. स्त्रीशुद्धि ......Page 58
२७. भिक्षा के अधिकारी तथा अनधिकारी ......Page 61
२८. पापी अतिथि को भिक्षा देनी चाहिए या नहीं ......Page 62
२९. अतिथि-सेवाविधि ......Page 65
३०. भूख, प्यास, निद्रा और काम के वेग सहनीय है। या नही ......Page 67
३१. वेतन द्वारा पढाना उचित है या नही ......Page 69
३२. विना पूछे उपदेश करे या नही ......Page 71
३३. चरित्र प्रमाण या वेदशास्त्र ......Page 74
३४. एक के लिए अनेक का त्याग उचित कैसे? ......Page 76
३५. सेवा लेना ठीक हे या नही ......Page 77
३६. ज्ञानी सुखी या अज्ञानी ......Page 79
३७. धर्म रक्षा करता है या नही ......Page 81
३८. वेतन द्वारा चिकित्सा करनी चाहिए या नही ......Page 84
३९. कथा प्रवचन विधि ......Page 86
४०. सतसंग, भजन, दानादि से क्या लाभ ......Page 88
४१. क्या ईश्वर की सर्वज्ञता पुरुषार्थ का बाधक है ......Page 92
४२. ब्रह्माविष्णु-शिव भिन्न या अभिन्न ......Page 95
४३. हरिनाम पापनाशक है या व्रत-तपादि ......Page 101
४४. प्रारब्धविषयक शङ्का और समाधान ......Page 105
४५. प्रभु के हितकर विधान मे दुःख तथा क्षोभ क्यों? ......Page 109
४६. क्षमा का स्वरूप, उपाय, पात्र-अपात्र, लाभहानि ......Page 114
४७. शास्त्रज्ञान-अनुभवज्ञान ......Page 119
४८. विधिनिषेध का तात्पर्य ......Page 122
४९. भागवत-श्रवण से मुक्ति ......Page 126
५०. बद्धे भाग्य मानुस तन पावा ......Page 130
५१. बिना किये पाप और पुण्य की प्राप्ति ......Page 134
५२. पाप-निवृत्ति के उपाय ......Page 140
५४. संन्यास का अधिकार ब्राह्मण को ही है ......Page 144
५५. संन्यास का अधिकार क्षत्रिय तथा वैश्य को भी है ......Page 149
५६. स्त्री-शूद्र संन्यास विचार ......Page 151
५७. विद्वानो के लिए विचारणीय ......Page 153
५८. संन्यास का काल ......Page 155
५९. नारीस्वभाववर्णन ......Page 156
६०. सतसंग तथा भजन से क्या लाभ ......Page 161
६१. भक्त और अभक्त के जीवन-निर्वाह मे अन्तर ......Page 162
६२. भक्त और अभक्त की मानसिक शान्ति में अन्तर ......Page 163
६३. भक्तो, पर संकट क्यो? ......Page 164
६४. दानपुण्य से दुःख-दारिद्र्य का नाश ......Page 166
६५. धर्म-परिवर्तन की चर्चा ......Page 168
६६. इच्छामात्र से प्रभुदर्शन ......Page 171
६७. प्रार्थना की सफलता तथा असफलता में हेतु ......Page 174
६८. धर्माधर्म मानने की आवश्यकता तथा व्यवस्था ......Page 176
६९. गुणहीन विप्र पूज्य है या नही ......Page 179
७०. भ्रष्टाचार के मूलाधार ......Page 183
७१. विद्याप्राप्ति का शास्त्रीय उपाय ......Page 189
७२. ब्रह्मज्ञानी का व्यवहार ......Page 192
७३. समयानुसार धर्मपरिवर्तन का प्रश्न ......Page 194
७४. देहाध्यास का त्याग कैसे हो ......Page 197
७५. हिन्दूधर्म-संरक्षण ......Page 200
७६. मन लगे बिना भी पूजा पाठ से लाभ ......Page 202
७७. तत्त्वविचार और व्यवहार मे अन्तर क्यों? ......Page 205
७८. कर्म-भक्ति के अनुष्ठान मे अन्तर ......Page 208