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دانلود کتاب Nirala Ki Sahitya Sadhana-V-1 (Hindi Edition)

دانلود کتاب Nirala's Sahitya Sadhana-V-1 (نسخه هندی)

Nirala Ki Sahitya Sadhana-V-1 (Hindi Edition)

مشخصات کتاب

Nirala Ki Sahitya Sadhana-V-1 (Hindi Edition)

ویرایش:  
نویسندگان:   
سری:  
ISBN (شابک) : 9788126716951 
ناشر: Rajkamal Prakashan 
سال نشر: 1990 
تعداد صفحات: 0 
زبان: Hindi 
فرمت فایل : EPUB (درصورت درخواست کاربر به PDF، EPUB یا AZW3 تبدیل می شود) 
حجم فایل: 5 مگابایت 

قیمت کتاب (تومان) : 55,000



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توجه داشته باشید کتاب Nirala's Sahitya Sadhana-V-1 (نسخه هندی) نسخه زبان اصلی می باشد و کتاب ترجمه شده به فارسی نمی باشد. وبسایت اینترنشنال لایبرری ارائه دهنده کتاب های زبان اصلی می باشد و هیچ گونه کتاب ترجمه شده یا نوشته شده به فارسی را ارائه نمی دهد.


توضیحاتی در مورد کتاب Nirala's Sahitya Sadhana-V-1 (نسخه هندی)

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توضیحاتی درمورد کتاب به خارجی

निराला की पुत्री सरोज का देहान्त सन् 35 में हुआ। उसकी प्रतिक्रिया: “उन्होंने न एक भी आंसू गिराया, न एक भी शब्द कहा। कुछ देर कमरे में चक्कर लगाते रहे। फिर कुर्ता पहना, छड़ी उठाई और घर से बाहर निकल गये।”

जयशंकर प्रसाद का देहान्त सन् 37 में हुआ। उसकी प्रतिक्रिया: “निराला ने समाचार सुना और कुछ न कहा … निराला के मन में जैसे शून्य समा गया, उनका भावस्रोत मानों जड़ हो गया।”

इन दोनों मृत्युओं को मिलाकर एक साथ देखना चाहिए। इससे निराला के दु:ख की गहराई का अनुमान होगा, उस पर काबू पाने और कविता लिखते रहने के लिए उन्होंने कैसा विकट संघर्ष किया था, इसका अनुमान होगा। सरोज पर कविता लिखने की बात उन्होंने उसकी मृत्यु के तुरंत बाद ही सोच ली होगी। ‘सरोज स्मृति’ के अंत में तारीख दी है — 9-10-35। निश्चय ही यह लंबी कविता एक दिन में न लिखी गयी होगी, तैयारी में भी समय लगा होगा; कविता जब पूरी हुई उस दिन की तारीख डाली होगी। प्रसाद पर कविता उन्होंने काफी समय बाद लिखी। ‘आदरणीय प्रसादजी के प्रति’ के अंत में सन् दिया है— 1940।

प्रसाद की मृत्यु पर निराला की तात्कालिक प्रतिक्रिया उनके एक पत्र से ज़ाहिर होती है। जिस घर से सरोज की अनंत स्मृतियां जुड़ी थीं, वहीं से प्रसाद के पुत्र रत्नशंकर को ढाढ़स बँधाते हुए उन्होंने पत्र लिखा था। लिखा थोड़ा जानना बहुत का नमूना वह पत्र इस प्रकार है:





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